मुझे इस दिल से बड़ी शिकायत है|
यह बार बार यूँही भटक जाता है |
बहुत शौक है इसे, इधर उधर घुमा आता है,
कभी यहाँ तो कभी वहां,
न जाने कहाँ कहाँ भटकता फिरता है|
मुझे इस दिल से बड़ी शिकायत है|
इसने दीवाना बनाकर हमें कहीं का नही छोडा|
घरवाले समझे हम चले सन्यासिन बन ने
और ज़माना समझे की हम तो पगला गए है,
गम में हसते है और खुशी में रो देते है|
मुझे इस दिल से बड़ी शिकायत है|
उसने अब शिकायत करने का मौका भी न छोडा|
अब चाह कर भी दुखी नहीं हो पाते हैं,
गुस्सा आए थो भी मुझे तुंरत सूचित कर दे ,
अरे गुस्से का मज़ा तो लूटने दिया करो!
मुझे इस दिल से बड़ी शिकायत है|
जब यहाँ रहता है तो उनकी याद मैं बड़ा रुलाता है
बार बार मन को तडपाता है,
हमें उनसे दूर होने का एह्साद दिलाता है
यह दिल हर क्षण यूँ ही सताता है!
लेकिन इस दिल की मैं शुक्र गुजार हूँ|
यह बार बार हमें यहीं ले आता है,
पुरा bhramand घुमा दे, पर डोर उन्ही के हाथ थमाता है|
मन भटके तो खीच तुम्हारे पास ले आता है|
मन विचले तो तुम्हारी याद से शांत कराता है
हर पल मुझे तुम्हारे होने का एहसास दिलाता है!
मुझे इस दिल से बड़ी शिकायत है|
बस इस दिल से ही शिकायत है
और यह शिकायत बरक़रार रहे|
खूब रहे, हमेशा रहे|
आप जो चाहे समझे - शिकायत समझे या एक प्रेमी की गुफ्तगू।
मुझे इस दिल से बड़ी शिकायत है|
Tuesday, September 16, 2008
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